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मुझे अच्छा लगता है,
तुम्हारा यूँ बेपरवाह हो जाना, फिर वापिस लौट आना,
खुद पर यूँ प्यार लुटाना, और अपने आप में खुश हो जाना …
मुझे अच्छा लगता है,
तुम्हारा यूँ बेपरवाह हो जाना, फिर वापिस लौट आना,
खुद पर यूँ प्यार लुटाना, और अपने आप में खुश हो जाना …
मुझे अच्छा लगता है,
किन्हीं बातों पर तुम्हारी बेतुकी राय होना, फिर उसका प्रमाण खोजना,
और फिर तुम्हारी बेवकूफी भरी बातों के बारे में सोचते रहना…
मुझे अच्छा लगता है,
हँसते-हँसते अचानक ही तुम्हारा मूड बदल जाना,
और आकस्मिक ही कोई मर्मस्पर्शी बात कह जाना…
मुझे अच्छा लगता है,
तुम्हारे बारे में जानने का कौतुहल-सा जगता है,
यूँ बातों में उलझना थोड़ा बेवजह-सा लगता है…
पर मैं क्या करूँ, मुझे तो अच्छा लगता है।
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Aprajeeta Singh
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2 thoughts on “मुझे तो अच्छा लगता है”
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Bahut badhia likhA hain. http://www.chiragkikalam.in
Thank You 🙂 I would love to read.
Keep Writing 🙂