आज अचानक ही उसने पूछ लिया, “हर वक़्त करती रहती हो, अपने शहर की बात, तुम्हारे शहर में ऐसा क्या है?” मैंने कहा –मेरी तो सुबह-शाम उस…
Author: Aprajeeta Singh
मुझे अच्छा लगता है, तुम्हारा यूँ बेपरवाह हो जाना, फिर वापिस लौट आना,खुद पर यूँ प्यार लुटाना, और अपने आप में खुश हो जाना … मुझे अच्छा…
तेरे मिलने से मैं बेफ़िकर हो गयी , सारी दुनिया से मैं बेखबर हो गयी, तेरी सोहबत का असर यूँ हुआ, तेरी -मेरी बातों में…
दौड़ती-भागती ज़िन्दगी, जिसमें एक ओर सुबह न उठने की इच्छा है, तो दूसरी ओर समय से ऑफिस पहुँचने की जल्दी भी। आजकल सुबह माँ के…
आज सुबह पढ़ा- “संघर्ष पिता से सीखो,बाकि सब कुछ दुनिया सिखा देगी।” मेरा मानना है- “संघर्ष ‘पिता’ बनी माँ का देखोदुनिया के हर रंग को…